Respuesta :

Answer:

‘आशाओं के दीप ‘ कविता में दुःखों से विचलित नहीं होकर भविष्य के प्रति आशावान रहने का संदेश दिया गया है। सुख – दुःख जीवन के दो पहलू हैं जो अपना रूप बदल- बदल कर आते जाते रहते हैं। जैसे हर काली रात के बाद सुनहरी सुबह आती है वैसे ही कुछ समय बाद दुःख की धुन्ध भी छँट जाती है और आशा की किरणें जगमगाने लगती हैं । हमें दुःख से हार नहीं मानकर खुशियों से भरे कल की प्रतीक्षा करना चाहिए। जिसके मन में सभी के लिए प्रेम होता है, उसे अज्ञान जनित दुःख विचलित नहीं करते हैं।